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पाषाण पूजा / ओम व्यास
Kavita Kosh से
सदियों से
पूजते रहे पाषाण
ईश्वर के भ्रम में
और हो गये पत्थर दिल
हम।
आज भी पत्थरो के लिए
लड़ रहे निरंतर
पत्थरों से हम
और हो गये भाव शून्य मूक जड़वत
भगवान दर्शक बन देख रहा है।
पत्थर दिल दिमागों की
पत्थर के लिए
पत्थर से लड़ाई चलती रहेगी जो सदियों तक
और पूजते रहेंगे
हम
पत्थर के देवता।