भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पास जिसके योगबल या साधना है / बाबा बैद्यनाथ झा
Kavita Kosh से
पास जिसके योगबल या साधना है
वह नहीं करता कभी भी याचना है
चाह लेता जो वही मिलता हमेशा
हाथ में उसके सदा हर कामना है
आज भी बरसात होगी देख लेना
मेघदल के योग से संभावना है
नायिका पहचान लेती भीड़ में भी
सामने का आदमी भी आशना है
वह पिघल सकता कहो फिर किसतरह से
सख़्त पत्थर का हृदय जिसका बना है
प्रेम जो दिल से करे खोजो उसे ही
देह का तो प्यार ‘बाबा' वासना है