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पास मेरे दो तरह के / हरिवंश प्रभात

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पास मेरे दो तरह के क़ीमती सामान है।
कुछ अधूरे ख़्वाब है, कुछ थोड़े अरमान है।

यूँ तो जीवन में चुनौती, आएगी ही बार-बार,
मुझको निर्भय कर रहा, वह मेरा ही ईमान है।

ज़िंदगी का ये सफ़र है याद अपना छोड़ता,
पाँव छोटे हैं मगर उनका निशां बलवान है।

आसमानों को झुका दे पास है ऐसा हुनर,
मैं हूँ छोटा मेरे ऊपर पुरखों का वरदान है।

ये हवाएँ कर रही हैं, मस्त मेरी ज़िंदगी,
भँवरों का संगीत है, कलियों का ही रुझान है।

जो पुरानी डायरी थी, कहता है कि खो गई,
मेरे दिल को ठगने वाला भी बड़ा नादान है।