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पा-ब दामन हो रहा हूँ, बस कि मैं सहरा-नवर्द / ग़ालिब
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पा-ब दामन<ref>कपड़ों में उलझते पैर</ref> हो रहा हूँ, बस कि मैं सहरा-नवर्द<ref>रेगिस्तान में भटकने वाला</ref>
ख़ार-ए-पा<ref>काँटो भरे पैर</ref> हैं जौहर<ref>चमकाने के निशान</ref>-ए आईना-ए-ज़ानू<ref>घुटना स्वरूपी शीशा</ref> मुझे
देखना हालत मेरे दिल की हम-आग़ोशी के वक़्त
है निगाह-ए-आशना<ref>पहचाना सा दृश्य</ref> तेरा सर-ए-हर-मू<ref>सर के हर एक बाल का सिरा</ref> मुझे
हूँ सरापा<ref>पूरी तरह</ref> साज़-ए-आहंग-ए-शिकायत<ref>शिकायत की धुन सुनाने वाला बाजा</ref> कुछ न पूछ
है यही बेहतर कि लोगों में न छेड़े तू मुझे
शब्दार्थ
<references/>