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पा लिया है सनम हमने तुम्हें ख़्वाबों की तरह / रचना उनियाल

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पा लिया है सनम हमने तुम्हें ख़्वाबों की तरह,
आशिक़ी दिल में खिलेगी दो गुलाबों की तरह।
 
इश्क़ की पैमाइशों को जीत हम लेंगे सनम,
लोग क़िस्से भी पढ़ेंगे यूँ किताबों की तरह।
 
आशिक़ी चीज़ है ज़ालिम सुकूँ छीने चैन भी,
चैन भी तुझ पे लुटायें हम ख़िताबों की तरह।
 
बात मुँह पर करेंगे कुछ हक़ीक़त होती अलग,
लोग बदलें यहाँ शक्लें भी नक़ाबों की तरह।
 
क्या मुहब्बत की हक़ीक़त रूबरू दिल से हुई,
इश्क़ की तिशनगी दौड़े है सराबों की तरह।
 
तेरा दामन सदा रौशन रहे चाँद तारों से,
रोशनी नूर सी बिखरे कामयाबों की तरह।
 
हर तबस्सुम की कहानी कहाँ ‘रचना’ कह सके,
आशिक़ी को जो समेटे है अज़ाबों की तरह।