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पिंजरे का पक्षी / गिरीश पंकज
Kavita Kosh से
मैं पिंजरे का इक पक्षी हूँ,
मुझको तुम आज़ाद कराओ ।
मुझको भी उड़ने का हक़ है,
ये बातें सबको समझाओ ।
जिसने क़ैद किया है उसको,
आज़ादी का गीत सुनाओ ।
मैं पिंजरे का इक पक्षी हूँ।
मुझको तुम आज़ाद कराओ ।