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पिंजर / लता सिन्हा ‘ज्योतिर्मय’
Kavita Kosh से
तोड़ के पिंजरा जब एक दिन
नन्हां पंछी उड़ जाएगा,
यह शांत पड़ा होगा पिंजर
तन मिट्टी में मिल जाएगा...
बस वह खुशबू रह जाएंगी
जो सत्कर्मों से पाएगा...
जितना कुछ पाया संजोया
सब यहीं धरा रह जाएगा
तन मिट्टी में मिल जाएगा...
क्या तिनका भी ले गया कोई?
हर एक मनका गिर जाएगा
जो टूट गया पल में बंधन
विधि बांधे न बंध पाएगा...
तन मिट्टी में मिल जाएगा...
है इस पिंजर का कर्ज बड़ा
क्या चुका कभी तू पाएगा...?
स्थापित कर जा कीर्तिमान
जग गीत तुम्हारे गाएगा..
तन मिट्टी में मिल जाएगा...
यदि नाभी तक पहुँच गया
तू ब्रह का भेद बताएगा
सर्वस्व समर्पित कर क्षण में
उस उर्जा से जुड़ जाएगा...
तन मिट्टी में मिल जाएगा...