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पिछले कई साल से / अश्वनी शर्मा
Kavita Kosh से
पिछले कई साल से
कोई बारात नहीं आई
इस गांव में
पैदा ही नहीं होने दिया गया
बेटियों को
आज उन
जन्मी, अधजन्मी, अजन्मी बेटियों
से अभिशप्त गांव
तरसता है
बहुओं के लिये भी
गांव की एकमात्र दाई
आज दहाड़े मारकर रोती है
अकेली झोपड़ी में
कोसती हुई अपने बेटों को जिन्होने
निकाल बाहर किया
बुढ़ापे में
उस मकान से
जहां आई थी कभी वो ब्याह कर।