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पिताक थापड़ - 2 / अविरल-अविराम / नारायण झा

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पिताक थापड़
हमरा गाल पर
लागल नै
ओ उसाहि कS
देने रहथि छोड़ि
मुदा ओ थापड़ बिनु लगने
हमरा झमा देने रहय
एखनहुँ तक
बिनु लगले थापड़
झमेने अछि
गाले नहि
झमेने अछि सर्वांग शरीर।