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पिता और पुत्र / हरीश करमचंदाणी
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बहुत तेज दोड़ते थे पिता
इतना तेज
कि निकल जाते थे सबसे आगे
सबसे पीछे खड़े होते जानबूझ कर
और निकल जाते थे सबसे आगे
दोड़ना उनको अच्छा लगता था
बरसो से दोड़ते ही आ रहे थे
एक दिन जब हम दोड़ रहे थे साथ-साथ
पिता पिछड़ने लगे
लगा वे थक रहे थे
देखा
वे हाँफ रहे हैं
मैं डर गया था
पर
आगे निकल गया था