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पिता की याद में / प्रताप सहगल

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श्मशान भूमि
किसी धर्मार्थ अस्पताल
प्याऊ या किसी मंदिर में
मैंने पिता की याद में
कोई पत्थर नहीं लगवाया
न बनवाया किसी चौराहे पर
उनका बुत
न किसी संग्रहालय में
उनकी चप्पल या चश्मा ही रखवाया
बता देते हैं आसपास के लोग
कनागत का महीना
पूछ भी लेते हैं सवाल
पर श्राद्ध रचने का खयाल भी
कभी मन में नहीं आया।
हाँ, माँ हर साल
हवन करवाती है उनकी याद में
मित्र उन्हीं के भजन गाते हैं
धर्म की इस इबारत में
मेरे अस्तित्व का एक खंडित अंश
शामिल होता है
खंडित अंश का दंश-
दंश-
जिसकी जड़े
अतीत की ज़मीन में दूर तक फैली हैं
वहीं से हज़ारों सालों की लड़ाई की
ध्वनियाँ सुनाई देती हैं।
पिता मात्र एक व्यक्ति नहीं
विषपत्रों से भरा एक छायादार पेड़ होता है,
वहीं से शुरू होती है लड़ाई
गुज़रते हुए और आते हुए कल के बीच
वहीं आता हुआ कल विस्तार पाता है
विस्तार लेते उड़ान
बहसों के बीच खुलता है नया संसार
गालों पर पड़े थप्पड़ों और
पाँवो पर पड़े डंडों के शोर में
दुबक जाते है बहसों से खुलता संसार
और दो महाशक्तियाँ
विश्व-युद्ध की मुद्रा में
आमने-सामने आती हैं
बीच में आती है माँ।
याद आता है पिता का
ताँबे सा तमतमाता चेहरा
हाथ में दूध का गिलास
और जलेबी का दोना लिए
दुलारता हाथ
याद आता है
स्कूल से भागे हुए बेटे के पिता का
शिकनों से भरा ललाट
पिता की आँखों में अई नमी
सुख देती है
और फिर याद आते हैं
तारों की छाँव में लेटे
सुनी हुईं कथाएँ
कथओं के संसार में
किसी तर्क को ढूँढने की ज़िद
तर्क और बहस के बीच
कहीं टिकी है आस्था की लौ
वही लौ उठाकर
पिता ने
मेरे मस्तक पर रख दी थी।
हैरान हूँ
जिस लौ ने मेरे पिता को राह दी
वही मेरे लिए
अँधेरे का एक सैलाब कैसे हो गई।
उस लौ को मैं नहीं दे सका कोई दूसरा
नाम
पर याद है
कहा था पिता ने
लौ को अपने पास रखना
यह राह ज़रूर देगी।
मस्तक पर रखी है लौ आज भी
पर वह नहीं देती कोई राह
वह जलाती है
मैं आस्था से तर्क की ओर लौटता हूँ
यहीं से मेरी और
मेरे पिता की राह अलग होती है।
पिता की याद में
नहीं चुनवा सकता कोई संगमरमर
न कर सकता हूँ कोई श्राद्ध
न हवन, न तर्पण, न पिंडदान
न ढो सकता हूँ पिता की दी हुई
लौ का बोझ
पिता की याद में
मैंने अपनी राह अलग बनाई है
किस क्षितिज पर खत्म होती है
यह राह
नहीं मालूम
ना ही मालूम है
इस राह के पड़ावों का गणित
बस पिता के संसार से
 मैंने तर्क चुना लिया है
और जीता हुआ बहसों की दुनिया में
चल रहा हूँ!
चल रहा हूँ!!
चल रहा हूँ!!!