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पिता तीर्थ है, जननि तीर्थ है / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग रामकली-ताल झूमरा)
 
पिता तीर्थ है, जननि तीर्थ है और तीर्थ है श्री‌आचार्य।
पति-पत्नी है तीर्थ परस्पर, अतिथि तीर्थ कहते हैं आर्य॥
दया-दान शुभ तीर्थ, तीर्थगुरु निर्मल मन है मन-भावन।
राम-नाम शुचि तीर्थराज है सकल कलुष-हर जग-पावन॥