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पिता नीशे में होली गमइला / सिलसिला / रणजीत दुधु
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हमरा छोड़ दारू के अपनइला
पिया नीशे में होली गमइला।
तोरा झोल-झोल कतना जगइलूँ
निमकी के तोरा पानी पिलइलूँ
तइयो न´ तों तनिको टसमसइला
पिया नीशे में होली गमइला।
सेज छोड़ सरण लेला नाली के
भूलइला तों अपन घरवाली के
रातभर असरे में हमरा जगइला
पिया नीशे में होली गमइला।
पीला पर मुँह से आवऽ हो बदबू
गिरला पर कुत्ता कर दे हो सू सू
कइसन घिनउना आदत अपनइला
पिया नीशे में होली गमइला।