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पिता / निर्मल आनन्द
Kavita Kosh से
पिता
तुम्हें संधि स्वीकार नहीं
तुम्हारा युद्ध कब समाप्त होगा
तुम्हारे झोले से
निकाल लिया है
किसी ने
अमन की पुड़िया को
मैं जानता हूँ
अकबर-राणाँ जैसा
नहीं होगा तुम्हारा इतिहास
क्योंकि
वे राज्य जीतते थे
तुम रोटी जीतते हो ।