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पिता / सुलोचना वर्मा
Kavita Kosh से
जून की गर्म दोपहर में
बरगद की छाँव पिता है
शीतलहरी की रातों मे
जलता सा अलाव पिता है
भवसागर की तूफ़ानों में
प्राण रक्षक नाव पिता है
जीवन संकट की बेला में
महादेव का पाँव पिता है
मतलबी निष्ठूर जहाँ में
बसा-बसाया गाँव पिता है