पितृ-नमन / शम्भुनाथ मिश्र
हे पूज्य पिता ऋषि तुल्य, अहाँकेँ हम शत नमन करै छी
भाग्य हमर जे अहिँक पुत्र छी, से हम मनन करै छी
हम शत-शत नमन करै छी
जीवन रहल सदा अनुशासित कण-कण अहाँ जोगौलहुँ
विद्या अर्जनलय व्याकुल रहि क्षण-क्षण अपन बचौलहुँ
सम्म्ुख भेल समस्या कोनहुँ तकरो पुनि सोझरौलहुँ
व्यक्तित्वक निर्माणेमे निज जीवन अपन लगौलहुँ
शिष्य-शृंखला पसरल चहुदिस सुनि हम मगन रहै छी
हम शत-शत नमन करै छी
मैथिलीक सेवा-भावेँ नहि कतय-कतय बौअयलहुँ
अपना गति-मतिसँ पद रचि-रचि पद संयोजन कयलहुँ
पहिने लिखलहुँ हिन्दीमे पुनि मैथिलीक पद धयलहुँ
हास्य-व्यंग्यकेर प्रथम कड़ीमे ‘गुदगुदिए’ लय अयलहुँ
लोकप्रिय अध्यापक रहलहुँ से हम श्रवण करै छी,
हम शत-शत नमन करै छी
युगक चक्रकेँ दूर अकानल ‘युगचक्रे’ तेँ लिखलहुँ
मैथिलीक जे छला विरोधी तकरो अपने बिन्हलहुँ
सत्यमार्ग पर अपने चललहुँ अनको चलब सिखौलहुँ
क्षण भरि जे बैसल समीपमे तकरो खूब हँसौलहुँ
दिनचर्या एखनहुँ कत नियमित से हम मनन करै छी,
हम शत-शत नमन करै छी
मैथिलीक सेनानायक बनि सेना खूब जुटौलहुँ
ठाम-ठाम सेना सजाय नित सीमा अपन बढ़ौलहुँ
मैथिलीक अधिकार प्राप्ति लय कान्हो अपन लगौलहुँ
निज भाषा रक्षार्थ स्वयं कर्त्तव्यक पाठ पढ़ौलहुँ
संविधानमे पाबि मान्यता कते प्रसन्न रहै छी,
हम शत-शत नमन करै छी
मैथिलीक उत्थान हेतु अपनाकेँ स्वयं लगौलहुँ
नव प्रतिभा जे पड़ल नजरिपर तकरा पुनि चमकौलहुँ
तन्द्रिल जे मैथिल समाज छल तकरा अहाँ जगौलहुँ
बनी स्वालम्बी जीवनमे सबकेँ सैह सिखौलहुँ
कर्मठताकेँ लक्ष्य बनाओल तकरे स्मरण करै छी,
हम शत-शत नमन करै छी
लिखि ‘नेपथ्य कथा’ में रोचक निज संस्मरण सुनयलहुँ
‘पत्रकारिता इतिहासे’ लिखि चकित चमत्कृत कयलहुँ
‘उनटा पाल’ भने हो तानल ‘आशा-दिशा’ देखौलहुँ
‘ऋतुप्रिया’ मे बारह मासक रसमय चित्र सजौलहुँ
देल दिशा निर्देशेकेँ अक्षरशः ग्रहण करै छी
हम शत-शत नमन करै छी
एकांकी सबकेँ ‘खजबा टोपी’ मे राखि परसलहुँ
सबहि विधामे कलम चला साहित्य अलंकृत कयलहुँ
नव ‘विदागरी’ बाट देखा कय ‘ठाँहि पठाँहि’ सुनौलहुँ
रचि ‘अतीत-मन्थन’ निज जीवन-दर्शनकेँ दरसौलहुँ
करी तनिक हम की अभिनन्दन हम शत नमन करै छी
हम शत-शत नमन करै छी