भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिया के पूजा / परमानंद ‘प्रेमी’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शिव दानी भोला बाबा तोरा परनाम!
रोजे-रोज तोरा लग हम्में आबै छी
फूल, बेलपात आरो अच्छत चढ़ाय छी
जऽल ढारी बाबा तोरा नभाय छी
पूरा करिहऽ तों हमरो टा काम।
शिव दानी भोला बाबा तोरा परनाम॥
बाबू गेलऽ छै लड़का देखै ल’
धऽन दौलत आरो गाँव घऽर देखैल’
मनऽ लायक उनका सब कुछ मिलि जाय
यही लेली आबै छी हम्में तोरऽ धाम।
शिव दानी भोला बाबा तोरा प्रणाम॥
जो पढ़लऽ-लिखलऽ हमरा मिलि जाय
जैथैं हलरा सें पियबा घुली जाय
गंगा जऽल तब’ तोरा चढ़ै भौं
आरो चढ़ै भौं घोटीक’ भांग।
शिव दानी भोला बाबा तोरा परनाम॥
माय पार्बती तोरऽ महिमा जानै छी
यही लेली तोरा लग हम्में आबै छी
तोहीं मिलैभौ पिया जी सें हमरा
जेना मिलैल्हौ सिया जी सें राम।
शिव दानी भोला बाबा तोरा परनाम॥
मनों सें पूजा आरो ध्यान करै छी
रातो क’ सुतलां में य’ह’ सोचै छी
भोला बाबा रं पिया मिलै हमरऽ
जपतें रहौं दिन-रात उनकऽ नाम।
शिव दानी भोला बाबा तोरा परनाम॥
टूसिया हिन्नें कथिल’ आबै छै
किजन गलों की खबर लानै छै
देर कत्ते होलै बाबा आब’ जाय छी
माय गोसैलै की बाबू ऐलै गाँब?
शिव दानी भोला बाबा तोरा परनाम॥