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पिया पतले जी पतंग जैसे पैर / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पिया पतले जी पतंग जैसे पैर
सिखर दुपहरी मत आइयो मोरे बालमा
ये जल जाए जी पतंग जैसे पैर
पिया पतले जी...
सई सांझ मत आइयो मोरे बालमा
ओहो जागे जी नणद और सास
पिया पतले जी...
आधी आधी रात मत आइयो मोरे बालमा
ओहो जागे जी ड्योढी का पहरेदार
पिया पतले जी...
सास गई बाप कै नणद गई सोहरै
ओहो अब होई जी मिलण आली रात
पिया पतले जी...
सास आई सोह्रे नणद आई बाप कै
अब होई जी बिछोड़ै आली रात
पिया पतले जी...