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पिया बाज प्याला पिया जाए ना / मुहम्मद क़ुली कुतुबशाह
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पिया बाज प्याला पिया जाए ना
पिया बाज इक तिल जिया जाए ना
कहे थे पिया बिन सबुरी करूँ
कह्या जाए अम्मा किया जाए ना
नहीं इश्क जिस वह बड़ा कूढ़ है
कधीं उससे मिल बैसिया जाए ना
’कुतुबशाह’ न दे मुँझ दिवाने कूँ पंद
दिवाने कूँ कुच पंद दिया जाए ना