भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पिया मन्नै इक चरखा ल्यादे / हरियाणवी
Kavita Kosh से
हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पिया मन्नै इक चरखा ल्यादे मैं बी सूत बनाऊंगी, हो मेरे राम।
चालीस गज का झालर आला दाम्मण एक सिमाऊंगी, हो मेरे राम।
सीसां आली चमक चून्दड़ी खादी की मंगवाऊंगी, हो मेरे राम।
हाथ में पाणे झंडा तिरंगा खादी आला ठाऊंगी, हो मेरे राम।
पिया मन्नै इक चरखा ल्यादे मैं बी सूत बनाऊंगी, हो मेरे राम।