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पिया मुख थे चूता शराब-ए-मनव्वर / क़ुली 'क़ुतुब' शाह
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पिया मुख थे चूता शराब-ए-मनव्वर
पिला यक दो प्याले हमन साक़ी भर भर
मुंजे आ कोईलाँ की करसे ना तासीर
तेरे इश्क की आग का हूँ समंदर
बराहीम का क़िस्सा पांचिया है जग में
नको लियाओ भी कोई कहानी आज़र
इश्क के मिनारे ऊपर ज्यूँ व दिल सूँ
मानी कहे बाँग अल्लाहु अकबर