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पीड़ पूगी ठेठ गळै लिखसूं आज / सांवर दइया
Kavita Kosh से
पीड़ पूगी ठेठ गळै लिखसूं आज
कदाच कीं बिक्खो टळै लिखसूं आज
तावड़ियो तो रोजीना माथै हो
आ छीयां न्यारी तळै लिखसूं आज
होठां री मुळक नै मुळक कैवूं किंयां
मन-नैण नित नीर ढळै लिखसूं आज
तोती सांसां सोच करै चूल्है रो
आयां पैली तूं ढळै लिखसूं आज
अबै तो झिरमिर-झिरमिर बरसो परा
मन-जंगळ धू-धू बळै, लिखसूं आज