भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पीरे पट वाले मेरे सैया / बुन्देली

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पीरे पट वाले मेरे सैयां
कै तुम संग किये साधुन के
कै सरजू में दई गैयां। पीरे...
ना हम संग किये साधुन के
ना सरजू में दई गैयां। पीरे...
गुण अवगुण तुम तो सब जानो
तुम से नाथ झुपी नैयां। पीरे...