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पीर अपनी बड़ी पुरानी है / रंजना वर्मा
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पीर अपनी बड़ी पुरानी है
आँसुओं से लिखी कहानी है
दर्द क्यों बूँद बूँद है रिसता
धड़कनों की ये बेजुबानी है
याद दिल पर है दस्तकें देती
उस को अपनी कही सुनानी है
लोग आते हैं गुज़र जाते हैं
ज़िन्दगी मौत है रवानी है
दर्द है अश्क़ में पिघलता जो
वो ही गंगो जमन का पानी है
प्यास लहरों में टूट कर बहती
ये समन्दर सी जिन्दगानी है
रेगजारों में हैं भटकते वो
जिन्हें दिल की मुराद पानी है