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पीली धूप / अजय 'प्रसून'
Kavita Kosh से
माचिस की है तीली धूप,
सरसों-सी है पीली धूप।
गरम दूध-सी उबल रही है,
चूल्हे चढ़ी पतीली धूप।
अभी शाम आई थी, डटकर,
उसने सारी पी ली धूप।
सर्दी में क्यों हो जाती है,
पता नहीं, नखरीली धूप।
गरमी के तपते मौसम में,
होती बड़ी हठीली धूप।