भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पीवै सदा अधरामृत स्याम को / भारतेंदु हरिश्चंद्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पीवै सदा अधरामृत स्याम को
भागन याको सुजात कहा है ।
....................
तबै मुधि मूल वहाँ है ।
छूटै सबै धन-धाम अली हिय
व्याकुलता सुनि होत महा है ।
बेनु के बंस भई बँसुरी जो
अनर्थ करै तो अचर्ज कहा है ।