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पी कहाँ का सुर तराना हो गया / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
'पी कहाँ' का सुर तराना हो गया
आज दिल फिर आशिक़ाना हो गया
खुशबुएँ ले कर हवाएँ उड़ चली
और लो मौसम सुहाना हो गया
सांवरी छवि जब निहारी श्याम की
दिल हमारा भी दिवाना हो गया
ख़्वाब आँखों मे सहेजे रात दिन
जिंदगी का ये बहाना हो गया
फिर नये बिरवे बगीचों में लगे
पंछियों का चहचहाना हो गया
गिर रहे हैं जो शज़र से टूट कर
दिल वही पत्ता पुराना हो गया
प्यार से उस ने निहारा जब हमें
बस तभी दुश्मन ज़माना हो गया