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पी लिया है जामे उल्फ़त और क्या अब चाहिये / रंजना वर्मा

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पी लिया है जामे उल्फ़त और क्या अब चाहिए
साँवरे से की मुहब्बत और क्या अब चाहिए

बाँध कर इक नेह डोरी है बनाया राज़दाँ
हो गयी पूरी ज़रूरत और क्या अब चाहिए

रश्क़ के काबिल हुए हम इश्क़ की यह बानगी
मिल रही है यूँ भी शोहरत और क्या अब चाहिए

फेर भी ले मुँह जमाना अब न कोई ग़म हमे
श्याम की पायी है सोहबत और क्या अब चाहिए

तू खयालों में रहे तो झोंपड़ा भी है महल
पा गये हम यूँ ही जन्नत और क्या अब चाहिए

दिल के आईने में कर ली कैद सीरत यार की
मूँद आँखें देखूँ सूरत और क्या अब चाहिए

जिंदगी के दर्दो ग़म अब रास आने हैं लगे
है नहीं कोई शिकायत और क्या अब चाहिए