भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पी ली हम ने शराब पी ली / रियाज़ ख़ैराबादी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पी ली हम ने शराब पी ली
थी आग मिसाल-ए-आब पी ली

अच्छी पी ली ख़राब पी ली
जैसी पाई शराब पी ली

आदत सी है नशा है न अब कैफ़
पानी न पिया शराब पी ली

छोड़े ई दिन गुज़र गए थे
आई शब-ए-माहताब पी ली

मुँह चुम ले कोई इस अदा पे
सरका के ज़रा नक़ाब पी ली

मंज़ूर थी शुस्तगी ज़बाँ की
थोड़ी सी शराब-ए-नाब पी ली

दाढ़ी की नहीं ‘रियाज़’ अब शर्म
जब पा गए बे-हिसाब पी ली