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पुकार / कुमार अनुपम
Kavita Kosh से
मेरे भीतर इन दिनों जो उमग रही है पुकार
आऊँगा
इसी के सहारे आऊँगा
और कहूँगा एक दिन
चलो साँसें उलझाएँ...