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पुनर्लेखन की कोशिश / येव्गेनी येव्तुशेंको
Kavita Kosh से
जो
रक्त से लिखा है
पुनः लिखना कठिन है
कोरे काग़ज़ पर भी
किसी को भी इससे कोई फ़ायदा नहीं होगा
मैं
अन्तिम कवि हूँ
उस कम्युनिज़्म का
जो कभी आया नहीं इस धरती पर
और शायद कभी आ भी नहीं सकता
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय