भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पुनर्लेखन की कोशिश / येव्गेनी येव्तुशेंको

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो
रक्त से लिखा है
पुनः लिखना कठिन है
कोरे काग़ज़ पर भी
किसी को भी इससे कोई फ़ायदा नहीं होगा

मैं
अन्तिम कवि हूँ
उस कम्युनिज़्म का
जो कभी आया नहीं इस धरती पर
और शायद कभी आ भी नहीं सकता


मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय