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पुन्याई (01) / कन्हैया लाल सेठिया

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दैणै स्यूं पैली
कोई नै धोखो
तनै खाणो पड़सी
निज में धोखो,
जे तनै लागै
म्हारी बात साची
तो समझ लेई
कोनी कर सक्यो हाल सुवारथ
थारी अकन कंवरी बुध रो
सीळ भंग
आ थारी आतमा री
खरी कमाई
जकी नै केवै पुन्याई !