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पुरखे / रुस्तम

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इक बिन्दु आता है
जहाँ से शब्द
एक ही दिशा में मुड़ते हैं

एक अन्य बिन्दु आता है
जहाँ वे खो देते हैं
चलने की इच्छा

यहाँ वे बैठ जाते हैं
और अपने पुरखों का
मनन करते हैं