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पुरखों का कहन / वन्दना टेटे
Kavita Kosh से
उनकी कविताओं में
शब्द नहीं बोलते
उनके बनाए चित्रों में
रंग नहीं बहकते
उनकी कहानियों में
तख़्त-ओ-ताज के लिए
ख़ून नहीं बहता
फिर भी वे
कविता करते हैं
चित्र बनाते हैं
कहानियाँ बाँटते हैं
कौन हैं वे लोग
जिन्होंने शब्दों-बोलियों को गरिमा बख़्शी
चित्रों को कामशास्त्र
अजन्ता नहीं होने दिया
कहानियों को अनुभव
और आनन्द के लिए ही
सुना और सुनाया
उसे इतिहास नहीं बनने दिया
कौन हैं वे लोग
जो नख-शिख वर्णन के बग़ैर
दुनिया का सबसे सुन्दर
प्रेमगीत गाते हैं