पुराणों और वेदों नें किया गुणगान है जिसका / प्रदीप कुमार 'दीप'
पुराणों और वेदों नें किया गुणगान है जिसका।
भगत आजाद गौरव तो शिवा अभिमान है जिसका।
हिमालय ताज है सर पर चरण सागर धुलाता है।
शहीदों की धरा है नाम हिंदुस्तान है जिसका।
हमारी आन की मिट्टी हमारी शान की मिट्टी।
वतन पर मिटने वालों के शौर्य स्वाभिमान की मिट्टी।
मिला है नीर गंगा का शहीदों के लहू के संग।
है चंदन से भी पावन मेरे हिंदुस्तान की मिट्टी॥
बगीचा है अमन का ये जगत की शान कह देंगे।
महकता है यहाँ कण-कण में ही बलिदान कह देंगे।
अगर पूछेगा कोई स्वर्ग से सुंदर बताओ कुछ?
बिना सोचे बिना समझे ही हिंदुस्तान कह देंगे॥
अगर बिखरें मेरे सुर तू, सुरीला साज दे देना,
तुझे अंजाम दूंगा तू मुझे आगाज दे देना।
नहीं आए नजर अपना तुझे जब दूर तक कोई।
तू मेरे नाम से हल्की-सी एक आवाज दे देना॥
नामुमकिन से वादे करना, प्रेम नहीं!
अधरों को अधरों पर धरना, प्रेम नहीं!
प्रेम समर्पण की सर्वोच्च अवस्था है!
सिर्फ जिस्म को हासिल करना, प्रेम नहीं! !
जमीं से आसमां के पार तक पैगाम लिख देंगे।
अगर है इश्क मंदिर तो तू शालिग्राम लिख देंगे।
मुहब्बत कैसी होती है कोई यदि हमसे पूछेगा।
उठाएंगे कलम कर में तुम्हारा नाम लिख देंगे।