पुरानोॅ नदी / अशोक शुभदर्शी
हम्में छेकियै चीर नदी
हम्में पुरानोॅ नदी तेॅ छेकियै
लेकिन अतीत नै छेकियै
हम्में जीत्तोॅ नदी छेकियै
कोनोॅ भी जीत्तोॅ नदी नांकी
हम्में वर्तमान छेकियै
आरोॅ भविश्य भी आपनोॅ
आरोॅ आपनोॅ आस-पास केरोॅ
सभ्भै के
हमरा नै पता छै
हम्में कोंन भगीरथ-तप केॅ फल छेकियै।
आबेॅ देखलोॅ नै जाय छै
चीर नदी के बिथा-पीर
कोय समझै लेॅ नै पारै छै कि
सूखी रहलोॅ छै
ई वहेॅ आपनोॅ चीर नदी छेकै
एकरोॅ जल स्त्रोत
केतना अच्छा छेलै
निकली जाय छेलै
ई नदी में पानी
एक्के बीŸाा बालू केॅ भीतर
आबेॅ तेॅ
पूस-माघोॅ में भी
नै निकलै छै पानी
कमर भर बालू हटैला पर भी
सात नदी केॅ मिलला सें
बनलोॅ छै
ई साधारण नै
महानदी छेकै
मतुर आबेै तेॅ
सूखी गेलोॅ छै
सातोॅ नदी केॅ सोत
सभ्भेॅ नदी केॅ बालू केॅ
खखोरी मारलेॅ छै
ई स्वार्थी ठेकेदार, चोर, सिपाही आरोॅ सरकारें
आबेॅ चलै छै
गरमेॅ हवा के झोंका हरदम
ई नदी में
पहिनें कोनोॅ नै कोनोॅ नदी
केॅ सोतोॅ सें
बनलोॅ रहै छेलै
जिंदा एकरोॅ सोत
आबेॅ की कोय बैठतेॅ शाम में यहाँ
आनंद उठाय वास्तें
पसीना सें तर होय जाय छै
एकरोॅ पास में ऐतैं लोग
आबेॅ मुरदरघट्टी नांकी लागै छै
पूरा ई चीर नदी