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पुरूबहीं गरजे, पछिमहीं बरसे / भोजपुरी
Kavita Kosh से
पुरूबहीं गरजे, पछिमहीं, बरसे, कहवाँ के नदिया गइले बढ़िआई,
खोलाखेली लदिया गइले बढ़िआई।।१।।
किया देखी आहे रउता हाथी दउरवले, किया देखी आहे रउता मोरे ओर आई।।२।।
मेघ देखी आहे सँवरो हाथी दउड़वलीं, तोही देखी आहे मालिन तोरे ओरे आई।।३।।
कथिकर खम्हिया, रउता, वरे कथिकर बन्हना, कथिकर पँखिया छजनी छवावे,
कहवाँ ही बड़उ रउता रे घन बँसवरिया, कहवाँ ही बड़उ रउता रे ऊँची मँचवारे।।४।।
ललपुर बड़िहे मालिन हे घन बँसवरिया, चितवन बड़उ रउता रे ऊँची मँचवारे।।५।।
आहे रउता हे, ऊँची मँचवार चूरा ठोकी मारे, पइरी ठोकी मारे हो
उठु-उठु रउता करू जेवनार, करू जेवनार।।७।।