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पुर ते निकसीं रघुवीर वधू / सुजाता

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बेमतलब -सी बात की तरह होती है सुबह
नीम के पेड़ पर कमबख्त कोयल बोलती ही जाती है
उसे कोई उम्मीद बची होगी

सारी दोपहरें आसमान पर जा चिपकी हैंआज, उनकी अकड़!
एक शाम उतरती है पहाड़ से और बैठ जाती है पाँव लटका कर, ज़िद्दी बच्ची!
ढलने से पहले झाँकना चाहता है नदी में कहीं कोई सूरज
सिंदूरी रेखा खिंचती है
जैसे छठ पूजती स्त्रियों की भरी हुई मांग
पूरा डूबा है मन आज
आधी डूबी हैं मछलियाँ
मल्लाह पुकारता है – हे हो!
आज और गहरे जाएंगे पानी में...
                                 
यह लौटने का समय है
समय…प्रतीक्षाओं की लय...
 
झूठ बोलकर खेलने चले गए बच्चे पहाड़ी के पीछे
तितलियाँ साक्षी हैं उनके झूठ की
अभी साथ में करेंगे धप्पा और चांद को आना पड़ेगा बाहर मुँह लटकाये
ये देखो आज शिकारी छिपा है आसमान में, एक योगी भी है
छिप-छिप के रह-रह टिमकते तारे... चोर हैं चालीस
कहानियों की सिम-सिम... नींद का खज़ाना...लो...सो गए...
 
अब सब काम निबट गए
पाँव नंगे हैं मेरे
बच्चों ने छिपा दी होगी...
या रख दी होगी मैंने ही कहीं
मेरे नाप की कोईचप्पल नहीं है भैया ?
– आपको कुछ पसंद ही नहीं आता
ह्म्म...

सपनों के लिए बुलाया गया है आज मुझे कोर्ट…
अचानक लगता है खो गई हूँ
यहाँ वह पेड़ भी नहीं है बरगद का चबूतरे वाला
किसी हत्या के भीनिशान नहीं हैं मिट्टी पर
चौकीदार कहता है –पूजा करनी होगी आपको,
गलत गेट से आ गई हैं आप, दूसरी तरफ है बरगद, सही-सलामत।
 
एक प्रेम को भर देना चाहती थी आश्वासनों से,मीलॉर्ड!
फुसफुसाता है कोई- झूठ!
शब्दकोश से मेरे गायब हो रहे हैं शब्द जजसाहब -
गड्ढे बन गए हैं जहाँ से उखड़े हैं वे...मैं गिरती हूँ रोज़ किसी गड्ढे में
फुसफुसाता है कोई- झूठ!
 
 
मैं धरती से बहिष्कृत थी...
कोई बोला- झूठ!
 
मैं कविता लिखती थी... मैंने लिखा था सब... ये देखिए
सारे काग़ज़...मेरी ही हस्तलिपि है...मेरी..
वह छीनते काग़ज़ उठ खड़ा हुआ है- झूठ!
 
मैं तब भी थी... अनाम...मैं भटक रही थी अँधेरी गुफाओं में
चलती रही हूँ रात-रात भर... दिन भर स्थिर...
बड़बड़ाती रही हूँ नींदों में... दिन भर मौन...

मीलॉर्ड! मुझे सुना नहीं गया मेरे क़ातिलों को सुनने से पहले
वह चिल्ला पड़ा है – चुप्प् प!!
 
आप पर अनुशासनहीनता का आरोप है
अदालत की तौहीन है...
 
होती हूँ नज़रबंद आज से... अपने शब्दों में... कानो में गूंजता है – झूठ है!
होती हूँ मिट्टी... हवा... आँसू... पानी...
मुझे उनके जागने से पहले पहुँचना है

चीखता है ऑटो वाला- हे हो!
मरने का इरादा है क्या!