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पुल पर लड़कियाँ / देवेंद्रकुमार
Kavita Kosh से
अभी थीं
अब नहीं हैं लड़कियां
पुल पर,
इतनी आंखों में
अटककर भी।
एक झुकी थी नदी की तरफ
दूसरी ने थामा था
गहली वाली ने पकड़ा था
उलट-पलट।
नदी की तरफ
हम देख रहे थे
सड़क दौड़ रही थी
अभी तक थीं
कहां से यहां तक थीं
दो लड़कियां
पुल पर-
एकाएक हवा हो गई थीं
लड़कियां।