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पुल / ओक्ताविओ पाज़ / उज्ज्वल भट्टाचार्य

अब और अब के बीच,
मैं हूँ और तुम हो के बीच,
एक लफ़्ज़ है, पुल ।

वहाँ आती हुई
तुम अपने अन्दर पहुँचती हो :
दुनिया जुड़ती है
और बन्द होती है अँगूठी की तरह ।

एक किनारे से दूसरे किनारे तक,
हमेशा, हमेशा ही
एक फैला हुआ जिस्म होता है :
एक इन्द्रधनुष ।
मुझे सोना है उसके तले ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य