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पुश्ते पर / ब्लेज़ सान्द्रार / अनिल जनविजय

विदा, प्यारे दोस्तो, विदा !
दिन ही दिन में निकल लो तुम सान-पाउलो
आओ, आख़िरी बार बात करें हम
तुम्हारी क्रान्ति में इस्तेमाल हुई फ़्रांसीसी तोपों की ।

इस विशाल हालैण्डी जलयान पर
मैं अकेला रह जाऊँगा अब
जो भरा हुआ है हालैण्ड के मोटे-मोटे भारी पीपे सरीखे पेटों से,
अर्जेण्टेनिया के ऐसे आम लोगों से
जिनके चेहरे चिकने लगते हैं नक़ली तौर पर
और सवार हैं दो-तीन इस पर नक़ली अँग्रेज़

स्पानी प्रवासी हैं कुछ, जो लौट रहे हैं स्वदेश
ख़ुश हैं कि वे कुछ पैसा इकट्ठा कर पाए
और ख़रीद पाए लौटने का टिकट

यही समय है जब अकार्डियन की धुन पर नाचा जाए
वही स्पानी नृत्य — जोता ।
 
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय