पुष्प वाटिका / अंतर्यात्रा / परंतप मिश्र
मैंने बचपन में एक बगिया लगायी थी
अपने गाँव में पूर्ण समर्पण के साथ
अब मैं कई वर्षों से शहर में रहता हूँ
पर, मैं एक पल के लिए भी नहीं भूल सका उसे
इतने लम्बी समयावधि के बाद भी
उसे हृदय में सँजोये फिरता हूँ
मानो कल की ही घटना हो
बहुत सारे सुंदर फलों के पेड़ों का परिवार
विविधि रंगों के खुशबूदार, आकर्षक फूल.
नाजुक लताओं से पटा प्यारा तालाब
मधुमक्खियों के छत्तों से बहती मादक गंध
हवाओं में तैरती तितलियों और पक्षियों का कलरव
सुकुमारता के साथ प्रकृति का अल्हड़ यौवन
बड़ा करीबी रिश्ता था मेरा इनके साथ
सौभाग्य से आज उनसे मिलने का अवसर मिला
लंबे समय के बाद गाँव की ओर चल पड़ा
यात्रा यादों के साथ समाप्त हो गयी
अंततः जब मैं वहाँ पहुँचा
मैंने एक शापित भूमि और उजाड़ क्षेत्र को पाया
ऊँचे गर्वित पेड़, केवल सूखी लकड़ी के कंकाल हो गए थे
केवल अवशेष मात्र बचा था उन मनमोहक
लताओं और फूलों का।
मेरी आँखों से अश्रु धारा बह चली
एक विशाल मृतप्राय पेड़ टूटी साँसो के साथ
कुछ बोलने का प्रयास रुँधे गले से करने लगा
अंतिम शब्द में उसने कहा
"मेरे मित्र ! आखिर तुम यहाँ वापस आ ही गए
आनंदित हूँ और भाग्यशाली भी जो आखिरी साँस से पूर्व
तुमसे पुनः मिलने का अवसर पा सका
मेरी अंतिम साँसे इसी बेला की प्रतीक्षा में अटकी रहीं
क्षमा करना मित्र! हम सभी तुम्हारी ही बाट देख रहे थे
पर,अब मुझे छोड़कर सभी मृत हैं।"
स्वयं पर मेरा काबू न रहा
लिपटकर फूट-फूट कर रोता रहा
कुछ सूखी पत्तियों ने हवा में उड़कर
मेरे आसुओं को पोंछा
मृतप्राय लताएँ आलिंगनबद्ध होकर कराहती हुईं बोलीं
"मेरे प्रिय! तुम्हारे जाने के बाद कोई नहीं आया
तुम्हारा सुंदर उद्यान परित्यक्त रेगिस्तान हो गया
हमारी शाखाओं पर बच्चे झूलने नहीं आते थे
प्रेमी जोड़ों ने अपना ठिकाना कहीं और बना लिया
पक्षियों ने अपने घोसले भी न बनाये
जब तालाब सूख गया, लताएँ जल के अभाव में न बचीं
आकर्षक पुष्प असमय मृत्यु का शिकार हो गए
पर, हम सभी तुम्हें एक पल को भी भूल न सके।
तुम्हारे संग बिताये वो अविस्मरर्णी पल हमारी पूँजी हैं
जो अब इस जीवन में पुनः प्राप्त न हो सकेंगे।
हमारी एक प्रार्थना है, हम जानते हैं की यह सरल न होगा
अब तुम्हीं हमारा अंतिम संस्कार कर देना
क्योंकि तुम्हीं हमारे अभिभावक रहे हो
तभी हम इस भावनात्मक बंधन से मुक्ति पा सकेंगे
और हमें अपने अगले पड़ाव पर जाने की अनुमति दो
यह तुम्हारा उपकार होगा हम पर
लेकिन एक बात मानो मित्र ! रोना बंद करो
हम वादा करते हैं, पुनः आयेंगे तुम्हारे पास
जब तुम एक नयी बगिया में हमें बुलाओगे।"
समय जैसे ठहर सा गया कुछ समय के लिए
वातावरण अत्यंत बोझिल हो चला था
मेरे गले से आवाज तक नहीं निकल पा रही थी
साहस जुटाकर मैंने कहा-
"मुझे कसम है ! तुम्हरे साथ बिताये वसंत की
इस वर्षा ऋतु के साथ तुम सभी को वापस आना होगा
एक मधुर मुस्कान उन सभी के चेहरों पर झलकी
वो मुक्त हो चुके थे, आँखें खुली ही रह गयीं थीं
पर मेरे हृदय में सदा जीवित रहेगा
जीवन के अंतिम क्षणों तक
उनका सन्देश और
उनको दिया मेरा वचन