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पुष्प (दोहे) / गरिमा सक्सेना

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विविध रंग के फूल यह, देते खुशी अपार।
अपलक इनको देखती , मैं तो बारंबार।।

कॉटों सँग है खिल रहा, यह गुलाब का फूल।
मगर प्यार ही बाँटता ,हरता मन का शूल।।

लाल,बैंगनी, पीत या, नारंगी हो रंग।
उपवन में रहते सदा, सभी पुष्प इक संग।।

जन्म किसी का या मरण, करते सम व्यवहार।
पुष्पों से सीखो जरा, यह सुंदर आचार।।

दो दिन जीवन फूल का, जीता खिल के रोज।
अपने अंदर ही करे ,ये खुशियों की खोज।।

राजा हो या रंक हो , देते इक- सी गंध।
फूल कभी माने नहीं ,ऊंच नीच के बंध।।

पुष्प प्रेम संकेत हैं, प्रेम जगत का मूल।
प्रेम प्रकट करते सभी , देकर प्यारे फूल।।

पुष्प विविध इक डोर सँग, बनता सुंदर हार।
बढ़ती है जब एकता, बढ़ता है शृंगार।।

रंग बिरंगे पुष्प हैं , कुदरत का उपहार।
कटे डाल पर जिंदगी , यह इनका अधिकार।।