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पुष्प / दुन्या मिखाईल
Kavita Kosh से
जब मेरे दिमाग़ में
चक्कर काट रहे होते हैं विचार
मैं शाखाओं की तरह
अपने हाथ लहराती हूँ
धरती में जमा देती हूँ अपने पांव
झुक जाती हूँ
इंतज़ार करती हूँ
डाली से तोड़ लिए जाने का
या सुगंध बिखेरती हूँ
पर पुष्प, पुष्प ही होता है
मैं पुष्प नहीं हूँ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : देवेश पथ सारिया