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पुष्‍कर और आवर्तक / कालिदास

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»  पुष्‍कर और आवर्तक

जातं वंशे भुवनविदिते पुष्‍करावर्तकानां
      जानामि त्‍वां प्रकृतिपुरुषं कामरूपं मघोन:।
तेनार्थित्‍वं त्‍वयि विधिवशादूरबन्‍धुर्गतो हं
      याण्‍चा मोघा वरमधिगुणे नाधमे लब्‍धकामा।।

पुष्‍कर और आवर्तक नामवाले मेघों के
लोक-प्रसिद्ध वंश में तुम जनमे हो। तुम्‍हें मैं
इन्‍द्र का कामरूपी मुख्‍य अधिकारी जानता
हूँ। विधिवश, अपनी प्रिय से दूर पड़ा हुआ
मैं इसी कारण तुम्‍हारे पास याचक बना हूँ।
गुणीजन से याचना करना अच्‍छा है,
चाहे वह निष्‍फल ही रहे। अधम से माँगना
अच्‍छा नहीं, चाहे सफल भी हो।