पूंजीवाद व्यवस्था देश मैं माची लूट खसोट
मार दिये मेहनतकश बिन खोट
इसी व्यवस्था बणी देश मैं भूखा मरै कमेरा सै
जो तिनका भी नां ठाकै धरता कती मौज सी लेर्या सै
थारी मेहनत पै कब्जा करकै तम नै ये दु:ख देेर्या सै
म्हारी एकता तोडऩ खातर चालै सै ये नई-नई चाल
कदे धर्म म्हं कदे जात म्हं कदे भाषा का करै सवाल
कदे इलाके म्हं अळझा कै बदल गिरै सै म्हारा ख्याल
चौगरदे तै जाळ गेर यें दे सैं गळ न घोट
मार दिये मेहनतकश बिन खोट
कई खरब के करे घोटाले या भी थारी कमाई सै
जिस तरियां ये चाल रहे या कती नाश की राही सै
बुद्धिजीवी माणस कै तै होती नहीं समाई सै
जै याहे रही चाल देश की क्यूकर होवे गुजारा सै
जो देश चलावण आळा सै वोहे लूट मचा रहा सै
चक्र खाग्या देश कती जब लगी हवाला की चोट
मार दिये मेहनतकश बिन खोट
राजनीति म्हं गुण्डे बडग़े इब गुण्ड्यां का होग्या राज
जो अपणे घर म्हं डाका डालै उनके सिर पै होग्या ताज
मेहनतकश तू सोच समझ ले तेरे सिर पै रही सै बाज
इब गुण्ड्यां की चक चढ रही सै सुणळे बात लगाकै ध्यान
सुप्रीम कोर्ट नै पत्र द्वारा इब गुण्डे देवैं सै ज्ञान
लडऩी आप लड़ाई होगी जब रहगी दुनियां मै श्यान
सारा बेरा पर नां बोलै बिचारी सरकार का के खोट
मार दिये मेहनतकश बिन खोट
ओर के लिखूं इन गुण्ड्यां की बाकी बात रही कोन्यां
ठाढ़े आगै हीणे की कोय जात जमात रही कोन्यां
कोण कमेरा मन्नै बताद्यों जिसनै लात सही कोन्यां
क्यूं खावो सो लात बात सै थोड़ा ध्यान लगाणे की
मिल कै सारे लड़ो लड़ाई या टोली ना थ्याणे की
समझदार के खटक लागज्या इस जयसिंह के गाणे की
तम संगठित हो कै लड़ो लड़ाई मारो सिर मै टयोंट
मार दिये मेहनतकश बिन खोट