भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पूंजी / विश्वनाथप्रसाद तिवारी
Kavita Kosh से
चुटकी भर मिट्टी
चोंच भर पानी
चिलम भर आग
दम भर हवा
पूंजी है यह
खाने
और लेकर
परदेश जाने के लिए।