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पूछ न मुझसे दिल के फ़साने / जाँ निसार अख़्तर
Kavita Kosh से
पूछ न मुझसे दिल के फ़साने
इश्क़ की बातें इश्क़ ही जाने
वो दिन जब हम उन से मिले थे
दिल के नाज़ुक फूल खिले
मस्ती आँखें चूम रही थी
सारी दुनिया झूम रही
दो दिल थे वो भी दीवाने
वो दिन जब हम दूर हुये थे
दिल के शीशे चूर हुये थे
आई ख़िज़ाँ रंगीन चमन में
आग लगी जब दिल के बन में
आया न कोई आग बुझाने