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पूजा-पाठ आ आडम्बर / नारायण झा
Kavita Kosh से
कतबो करथि पूजा पाठ
कतबो करथि भजन कीर्तन
नहि भेटैत छनि ईश्वर
जेना लगैछ सभटा आडम्बर
घुमा-फिरा क' मनबुझाओल बात।
ललाट पर चानन घँसैत
दिन-राति माला फेरैत
माला हाथ मुदा मन भटकैत
सय-सय केँ गिनती जुड़ैत
मुदा नहि एको आना पुरैत।
भगवान बसथि अपने मन मे
गरीब-गुड़बाक मैल चिक्कट तन मे
नांगट उघाड़ केँ झाँपि क'
भूखलकेर क्षुधा मेटा क'
देवता द्रवित हेताह एहि मे।
फूसि केँ छोड़ि कोठी कान्ह पर
साँच केँ जगा दिऔ
अचेत केँ चेता दिऔ
सचेत केँ बढ़ा दिऔ
ई भेल ठीके सभ सँ ऊपर।
पूजा होइछ शुद्ध मोन सँ
धरम अरजू चुपचाप सेवा सँ
ने अकड़ि क', ने डंका बजा क'
ईश्वर भेटताह, अवश्ये भेटताह
करू पूजा पखारल हृदय सँ।