पूजा करै छथि शंकराचार्य / तारानंद वियोगी
धूप-दीप-चानन आदि-इत्यादि ल’ क’
पूजा करै छथि शंकराचार्य
अष्टधातुक पात्रसज्जित नन्हकिरबा शिवलिंगक।
षोडशोपचार सुनै छियै कोनो पूजा होइ छै,
से पूजा करै छथि शंकराचार्य।
फूल-बेलपात-नेवैद्यक भार तर पिचाएल
ने हिलै छथि ने डोलै छथि नन्हकिरबा धातु।
एक दम मे पचीसटा, छबीसटा स्तोत्र पढि जाइ छथि
सुसंबद्ध सुन्दर उच्चारण मे
सौंसे कक्ष शब्दब्रह्मक स्फोट सं ध्वनन-ध्वननमय अछि।
हौले-हौले झूलै छनि शंकराचार्यक ऊर्ध्वांग
पूजा करैत स्तोत्र पढैत आनन्द मे,
एहने आनन्द मे प्रायः हमरा लोकनि
नेनपन मे सामूहिक रूपें नदी फिरल करी
स्कूल सं फिरार भ' क'
वाह, की आनन्द छल।
बाहर मे प्रतीक्षारत छनि
डेढ सय, दू सय भक्त लोकनिक भीड।
भीड कें निहारि कनडेरियें
हौले-हौले झूमैत मुस्कियाइत छति शंकराचार्य
आ, स्तोत्र पढै छथि।
शंकराचार्य कें एखन देरी छनि
पांच बरस, दस बरस बाद कहियो
हुनकर सेवक के हत्या हेतनि,
हत्याक आरोपित हेता शंकराचार्य,
पुलिस जखन पकड' एतनि तं
बेडरूम सं बहार हेतनि ब्लू फिल्मक सी. डी. ढेरी,
पोर्न साइट देखैत आनन्दमग्न
गिरफ्तार कएल जेता शंकराचार्य।
तखन छुटता जेल सं
एक्को अपराध साबित नहि क' सकत पुलिस
तखन, बाइज्जत बरी कएल जेता
मुदा, ताहि सब मे तं एखन आरो बहुत देरी छै।
एखन तं हमरा गाम मे रखलनि अछि श्रीचरण
षोडशोपचार पूजा करै छथि
हौले-हौले झूलै छनि ऊर्ध्वांग,
प्रतीक्षारत छनि बाहर
भक्त लोकनिक भीड
देखै छथि तमाशा दलित कवि।